लाल बाग बना तमाशा चंद लोगों का हजम नहीं हो रहा निर्माण
जब कालोनी नहीं है तो कैसा पार्किंग
झालरापाटन रियासत कालीन लाल बाग किसी समय सेठ विनोदी लाल बालचन्द की निजी सम्पत्ति थी जिसने चांदवाड परिवार को बिक्री कर दिया था। सेकडों पेड़ से लदे इस बाग को 1991 के मास्टर प्लान में गार्डन के रुप में दर्ज़ किया ताकि नगर के लोगों को अच्छी आबो हवा मिल सके । लेकिन चादवाड परिवार के एक सदस्य ने राजस्व विभाग से मिली भगत कर इस बाग की दशा बिगाड़ कर शनै शनै मनमर्जी से भूखण्ड बना बेचना प्रारंभ कर दिया। किसी भूखण्ड को रजि से किसी को स्टाम्प के जरिए मिली भगत से एक ही नम्बर बता कर कई रजि होने की बात भी सामने आई। कई मकान बने कई दुकानें बनी सेकंडों पेड़ काटे गए लेकिन की से कोई आवाज नहीं आयी । जानकारी मिली फिलहाल चादवाड परिवार का आपस में फेमिली का विवाद न्यायालय में चल रहा है ।यह उनका निजी मामला है यह अपनी जगह है
हाल ही में कुछ लोगों को तकलीफ़ हुई बहाना बना पार्किंग , धार्मिक स्थल व एक पेड़ को कोई खरीददार निर्माण करवा रहा है जबकि इस कालोनी का वजूद सरकारी रिकॉर्ड में है नहीं यह कालोनी कन्वर्ट है, सही मायने में सारी कालोनी अवैध है न्यायालय या एन जी टी स्वत संज्ञान ले तो संभवतः एक भी निर्माण नहीं रहेगा वापस 1947 की स्थिति में लाना होगा। बताया जाता है बहुत सारे कुएं थे जिन्हें बन्द करवा कर निर्माण करवा लिया है।
मामला चल रहा बालाजी के मन्दिर के अस्तित्व का तो खरीददार का कहना है मन्दिर से अधिक भूमि पर शानदार मन्दिर बना रहा है गर्भ गृह निर्माण तो विधी विधान से होगा पण्डितो की राय ली जा रही है काफी बड़ा स्थान मन्दिर के लिए छोड़ रखा है इसी के पास प्राचीन कुण्ड है जिसे यथावत रखा जा रहा है कोई कुण्ड को विकसित करने के लिए सलाह देगा तो सरकारी महकमे से इजाजत लेकर विकसित किया जायेगा। पेड़ काटने को लेकर बताया कि एक पेड़ के एवज में इक्कीस पेड़ लगाए जाने हैं।
सुत्र बताते कूल मिलाकर कुछ लोगों की साज़िश जो बार बार मिडिया के माध्यम से भूमि मालिक पर दवाब बना कर पार्किंग का लाभ उठाने के फेर में हैं। जबकि वाह के सभी रह वासियों ने वाहन मालिकों ने अपनी नीजी गाडी खडी करने के अपना निजी गैराज होने का शपथ पत्र परिवहन विभाग को दे रखा है
नियमानुसार जब कालोनी रजिस्टर्ड नहीं है भूमालिक है अपनी मर्जी से भूखण्ड बेचे हैं खरीददार ने अपनी मर्जी से खरीदे हैं सड़क भी भूमालिक के अनुसार है कालोनी कन्वर्ट होती तो पूर्व में स्कूल, मनोरंजन के पार्क, अस्पताल के भूमि, मन्दिर,सड़क की लम्बाई चोड़ाई नक्शे में दर्शायी हुई होती । कुछ लोग विवादित भूमि में डी कम्पनी से जुड़े लोगों की बताई रहे हैं जिससे राजनिति की जा रही है। जबकि हाल में बाइपास निर्माण में
कई पेड़ काटे गये है। गिन्दोर में शंकर भगवान का बना बनाया मन्दिर सार्वजनिक विभाग द्वारा तोड़ दिया गया भगवान को खुले चबुतरे पर छोड़ दिया गया। लेकिन कोई विरोध करने वाला पैदा नहीं हुआ।