झालरापाटन जहां से नजराना मिले वो अतिक्रमण वैध जहां ना मिले वो अवैध यह स्थिति झालरापाटन नगरपालिका में देखी जा सकती। प्रमाण देखे तो नगर की वसुन्धरा कालोनी जीता जागता नमूना है शायद कोई एक आध होगा कि जो कहेगा उसने अतिक्रमण के एवज में नजराना नहीं दिया हो । ऐसे कई प्रकरण हैं जिसमें नियमों के विरुद्ध चैयरमैन पति कुछ पार्षद जमादार निर्माण कार्य रुकवाने पहुंच जाते हैं। जबकि जनता में जागरूकता नहीं होने से आम जनता इसका शिकार हो रह जाती है।
हम अतिक्रमणी व अतिक्रमण के पक्ष में नहीं किन्तु अतिक्रमण को बढ़ावा देकर कोई चोथ वसूली करें उसे रोकना हमारा दायित्व है।
निकाय विभाग ने यह अधिकार सिर्फ ईओ को दिये ,कोई व्यक्ति सरकारी भूमि या गैर सरकारी भूमि पर कब्जा कर अतिक्रमण करता है तो उसे नगरपालिका में तैनात जमादार नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी को लिखित में सूचना देगा इस पर ईओ उस अतिक्रमियों को नोटिस देकर या अतिआवश्यक है तो मौके पर जा कर मौका देखकर अतिक्रमण हटाने के आदेश देता है। जिसमें भी निर्माण सामग्री जब्त की जाती है तो उसकी मौके पर सूची बनाई जाती है मौके पर अतिक्रमी नहीं हो तो सामान जब्त करने की कार्यवाही की जाती है
जमादार अथवा नगरपालिका के किसी कर्मचारी अथवा अध्यक्ष या अध्यक्षा के पति व पार्षदों को यह अधिकार नहीं है कि वो सीधा ही अतिक्रमियों पर अतिक्रमण हटाने का दबाव बनाएं या पैसे वसूले।
न ही चैयरमैन, चैयरमैन पति, अथवा पार्षदों को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी निर्माण स्थल पर जायें या जमादार को आदेश देकर निर्माण रुकवायें या तुड़वाने की धमकियां दे या पैसे की वसूली करे।
वास्तविक रुप से अतिक्रमण है पालिका प्रशासन कार्यवाही नहीं करता है तो बोर्ड की मीटिंग में संज्ञान लेकर अधिशासी अधिकारी को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के लिए कहा जा सकता है।
इसी तरह पालिका में जान बूझकर निर्माण स्वीकृतियां विचाराधीन रखी जाती है।इस सम्बन्ध में निर्माण करने वाला व्यक्ति कई दिनों तक पालिका में चक्कर काट काट कर परेशान हो जाता है अंत में ले देकर अपना कार्य करता है इसमें भी नियम यह है निर्माण स्वीकृति की फाईल पालिका में जमा करवाकर पन्द्रह दिवस के पश्चात स्वत निर्माण प्रारम्भ कर सकता है।
ऐसे कई प्रकरण है जिसमें आम लोगों को निर्माण स्वीकृति नहीं दी गई जिन्होंने निर्माण प्रारम्भ कर दिया है उन्हें डराया धमकाया जाता है अवैध रूप से पैसे की वसूली की जाती है निर्माण तोड़ने की धमकी दी जाती है। जबकि कोई व्यक्ति निर्माण स्वीकृति की जमा फाईल से अधिक भूमि पर निर्माण करता है या स्वयं की भूमि पर बिना निर्माण स्वीकृति के निर्माण करता है तो सिर्फ अधिशासी अधिकारी को को यह अधिकार है कि उक्त निर्माण स्थल की पैमाइश कर जुर्माना लगाया जा सकता है ना कि तोड़ने का अधिकार है। जुर्माना भी न्यायालय के माध्यम से जमा होगा ।
नगरपालिका में ऐसा बहुत कुछ चल रहा है चेयरमैन पति व उसके चापलुस दो तीन पार्षदों ने ऐसी दुकानें चला रखी है किसी निर्माण को लेकर नगरपालिका के कर्मचारियों को डराने धमकाने भिजवा देते हैं बाद में वसुली करते हैं ऐसे में निर्माण कर्ता फौरी कार्रवाई के सम्बन्ध पार्षद अथवा कर्मचारी के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई जा सकती है।