झालावाड़ : फर्जी बैंक के सूदखोर या फिर मौत के सौदागर

  विज्जय समदर्शी संपादक

अगर आपके पास 10 लाख हो तो लोगों को लूटने के लिए फर्जी बैंक खोल लो 

आजकल अमूमन हमें देखने सुनने को हमेशा मिला है कर्ज के कारण फैलाने जहर खाया,भला व्यक्ति ने फांसी लगाई,फलाना व्यक्ति भी बच्चों के साथ ट्रेन के आगे खुदा,”यह सब आम बात हो गई!

पर कभी किसी ने सोचा या जिम्मेदार ने इसके लिए कभी अपनी जिम्मेदारी निभाने का कर्तव्य दिखाया क्योंकि सब पूरा तंत्र भ्रष्टाचार तंत्र है यहां पर सब हो सकता है क्योंकि भ्रष्टाचार हर व्यक्ति के जहां में खून बनाकर दौड़ रहा है खैर या अलग बात है आज हम जिस विषय पर बात करेंगे वह अलग बात है इस संसार में हम सालों से सुनते आए हैं सुदखोरों की दास्तान जहां पूर्व में लोग अपनी जमीन जायदाद गिरवी रखकर अपने बच्चों की शादी पढ़ाई लिखाई करवाया करते थे साहूकारों से ऊंचे ब्याज पर रुपए लिया करते थे जिसे चुटकी चुटकी पूरी जिंदगी खत्म हो जाती या फिर गिरवी रखी हुई जमीन वह जमीन जो साहूकार ने रकम के बदले गिरवी रखी थी पर बदलते युग के साथ साहूकारों की जगह अब निजी फर्जी बैंकों ने ले ली वहीं आम आदमी और भोली भाली जनता को फसाने के लिए नए-नए प्रलोभन दिए जा रहे हैं वहीं बैंक के दिन प्रतिदिन मुनाफे को देखकर हर शहर में सूदखोरों की भरमार है क्योंकि यह वही काम है जिसमें बिना मेहनत के अच्छा मुनाफा है मात्र 5 लाख में लोगों द्वारा बिना लाइसेंस के ब्याज बट्टे का कार्य किया जा रहा है! जहां पर आम लोगों को जब जरूरत होती है तो लॉग इन सूदखोरों के संपर्क में आते हैं और फिर इसे लोन के नाम पर कुछ रकम ले बैठते हैं जिनका ब्याज दर ₹10 सैकड़ा या फिर इससे अधिक होता है जिसे चुकाने के लिए अपने महीने भर की कमाई इन सूदखोरों को दे देना पड़ता है जिसके चलते वह अच्छा जीवन जीने के चक्कर में और कर्ज के तले दबता जाता है और फिर जब वह कर्ज नहीं चुका पाता तो गुंडागर्दी बेज्जती शर्मिंदगी जिल्लत,बदनामी ना जाने क्या-क्या उसे झेलना पड़ता है और फिर धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो जाता है जिसके चलते उसे आत्महत्या जैसे गंभीर भयानक कदम उठाने पड़ते हैं इसे क्या कहेंगे आत्महत्या करने के लिए उकसाना या फिर कमजोर व्यक्ति जो अपने कर्ज को नहीं चुका पाया या फिर प्रशासन की गैर जिम्मेदारी जो ऐसी फर्जी बैंकों पर लगाम नहीं कर सकी जिनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं आरबीआई के नियमों का भी भरपूर उल्लंघन किया जा रहा है वही 5 लाख के 1 साल में 10 लाख बना लिए जाते हैं और 10 के 20 ऐसे ही सूत्रों ने करोड़ों रुपए सरकार के टैक्स के बिना बोली वाली जनता को लूट लूट कर जमा कर लिये है वही इन सूदखोरों ने लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए सारे फॉर्मले बैंक के तर्ज से किया जा रहे हैं जिसमें इन्होंने अपनी माइक्रो फाइनेंस के नाम से फर्जी डायरिया भी बना रखी है जो मार्केट में देखने को मिल जाएगी आखिर कब जागेगा प्रशासन यह तो वक्त ही बताएगा ! कब इन सूदखोरों पर कार्यवाही की जाएगी कब आत्महत्या के लिए उकसाने वाले मौत के सौदागरों पर लगाम काशी जाएगी कब सरकार के टैक्स की चोरी करने वाले इन सुटखोरों से टैक्स वसूला जाएगा यह सब भ्रष्टाचार के तंत्र में गर्भ में छुपा हुआ है

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